एफ पी ओ क्या है what is FPO

एफ पी ओ क्या है (what is FPO) -







एफ पी ओ एक कृषक उत्पादक संगठन है।भारत सरकार ने खेती किसानी में सुधार व कृषकों की आय दोगुना करने हेतु 29 फरवरी 2020 को उत्तरप्रदेश के झांसी जिले से एफ पी ओ यानी कृषक उत्पादक संगठन की शुरुआत की थी।

 भारत मे लगभग 90 प्रतिशत किसान लघु एवं सीमांत हैं ।इन्हें खेती किसानी में तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ता है।इन्हें न तो समय पर उन्नत बीज उपलब्ध हो पाते हैं और न ही उर्वरक।अधिकतर ये किसान अपने खेत की जुताई के लिये किराए के कृषि यंत्रों पर निर्भर रहते हैं।उत्पादनोपरांत भी इन किसानों को तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ता है।इनके पास परिवहन के साधनों का अभाव होता है जिसके कारण न तो ये अपनी फसल मंडी तक आसानी से ले जा पाते हैं और  न  ही इन्हें  अपनी फसल का उचित मूल्य प्राप्त हो पाता है।

 इन तमाम समस्याओं को दृष्टिगत रखते हुये ही भारत सरकार ने यह महसूस किया कि यदि  लघु एवं सीमांत किसान छोटे-छोटे संघटनों के रूप में कार्य करें तो वह अधिक लाभार्जन कर सकते हैं।इस शुभ उद्देश्य से ही एफ पी ओ का आरंभ किया गया

  F P O ( FARMER PRODUCER ORGANIZATION ) हिंदी में इसे कृषक उत्पादक संगठन कहते हैं।


किसान उत्पादक संगठन(FPO) के उद्देश्य -

किसान उत्पादक संगठन छोटे किसानों के हितों की रक्षा करने के लिये बनाया गया है।इसके निम्न उद्देश्य हैं -

  • खेती किसानी में सुधार लाकर किसानों की आय को दोगुना करना एवं किसानों के हितों का संरक्षण करना।
  • बीज ,उर्वरक ,कृषि यंत्रों एवं बाजार के संदर्भ में किसानों को तकनीकी एवं वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना ।
  • किसानों को ऋण एवं बाजार पहुंच में जो समस्याओं का सामना करना पड़ता है उन समस्याओं के समाधान हेतु वित्तीय एवं तकनीकी सहायता उपलब्ध कराना।
  • ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार लाना एवं ग्रामीण युवाओं  को गाँव मे ही रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना।
  • उत्पादन और विपड़न के  वित्तमान को सशक्त करने में सहायत प्राप्त करना।
  • कुशल ,लागत प्रभावी और स्थायी संसाधन उपयोग के माध्यम से उत्पादकता में वृद्धि करना और अपनी उपज के लिये बेहतर लिक्विडिटी और बाजार लिंकेज के माध्यम से उच्च लाभ प्राप्त करना और सामूहिक कार्य के माध्यम से स्थायी बनाना।
  • नए एफ पी ओ के प्रबंधन के सभी पहलुओं में  सृजन वर्ष से  5 साल तक एफपीओ को इनपुट, उत्पादन, प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन,बाजार लिंकेज ,क्रेडिट लिंकेज और प्रौद्योगिकी का उपयोग आदि द्वारा हैंडहोल्डिंग और सहयोग प्रदान करना।
  • सरकार से सहयोग की अवधि के बाद एफपीओ को आर्थिक रूप से व्यवहार्य और आत्मनिर्भर बनाने के लिये कृषि उद्यमिता कौशल विकसित  प्रभावी क्षमता निर्माण प्रदान करना।


एफ पी ओ के लाभ -

  • किसानों को अपनी उपज का एक विस्तृत बाजार मिलेगा ।
  • किसानों को बीज ,उर्वरक,दवा ,कृषि यंत्र एवं अन्य कृषि सहायकों के क्रय में आसानी होगी।
  • किसानों को कृषि सेवाएं काफी सस्ती मिलेंगे।
  • किसान को बिचौलियों के संजाल से छुटकारा प्राप्त होगा।
  • किसानों को उनके फसल के दाम अच्छे मिलेंगे।
  • किसानों के समूह में संगठित होने से उनमे एकता का भाव आएगा एवं उनका शोषण रुकेगा।

एफ पी ओ का गठन -

 एफपीओ का गठन उपज क्लस्टर क्षेत्र पर आधारित है ।उपज क्लस्टर क्षेत्र का अर्थ है एक भौगौलिक क्षेत्र जिसमे कृषि और सम्बद्ध उत्पादन जैसे कि समान या समान प्रकृति के बागवानी उत्पादों की खेती की जाती है ताकि उत्पादन और विपड़न में मितव्यता का लाभ उठाने के लिये एक एफपीओ का गठन किया जा सके।

  मैदानी क्षेत्रों में 300 किसान सदस्य एवं पहाड़ी / पूर्वोत्तर क्षेत्रों में 100 किसान सदस्य वाले एफपीओ पात्र होंगे।समान रुचि वाले पास के किसान सदस्यों को 15 से 20 सदस्यों के समूह में एकत्र किया जाएगा।इस समूह को किसान सहायत समूह अथवा स्वयं सहायता समूह,किसान क्लब आदि के रूप में जाना जाएगा।कुछ समान्यताओं के आधार पर उत्पादक समूह  अथवा गाँव/पड़ोसी गाँवों के क्लस्टर में से ऐसे 20 अथवा अधिक समूहों को मिलाकर कम से कम 300 किसान सदस्यों वाला एफपीओ का गठन किया जाता है।एफपीओ को अधिक प्रभावी बनाने के लिये सदस्यों के रूप में छोटे ,सीमांत एवं महिला किसान सदस्यों या अन्य आर्थिक रूप से कमजोर श्रेणियों को शामिल करने के लिये विशेष फोकस किया जाता है।एक एफपीओ में अधिकतम मैदानी क्षेत्रों में 500 किसान सदस्य एवं पहाड़ी / पूर्वोत्तर क्षेत्रों में 200 किसान सदस्य शामिल किए जा सकते हैं।


एफपीओ प्रबंधन लागत -

  • एक एफपीओ को अधिकतम 18 लाख रुपये की वित्तीय सहायता  एफपीओ गठन के वर्ष से  तीन वर्ष तक प्रदान की जाती है।
  • एफपीओ के गठन के चौथे वर्ष के बाद एफपीओ को अपने स्वयं के व्यवसायिक कार्यकलापों से  वित्तीय सहायत  प्रबंधन करना है।
  •  प्रशासनिक खर्च के लिये वित्तीय सहायता इस प्रकार खर्च होगी-
  • सी ई ओ / प्रबंधक 25000 रुपये प्रति माह वेतन
  • एकाउंटेंट 10000 रुपये प्रति माह वेतन
  • एफ पी ओ पंजीकरण लागत 40000 रुपये 
  • कार्यलय खर्च के लिये लगभग 100000 रुपये।

कार्यान्वयन एजेंसी-

एफ पी ओ को समान और प्रभावी तरीके से बनाने और बढ़ावा देने के लिये ताकि 5 वर्षों में 10000 नए एफ पी ओ के गठन के  लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके और एफपीओ को आर्थिक रूप से स्थायी बनाने के लिये,शरू में एफपीओ  बनाने और बढ़ावा देने के लिये तीन कार्यान्वयन एजेंसियां अर्थात एस एफ ए सी ,एन सी डी सी और नाबार्ड होंगी।
  • एस एफ ए सी कम्पनी एक्ट के तहत शामिल किये गए एफपीओ को बनाएगी एवं बढ़ावा देगी
  • एन सी डी सी सहकारी समिति के तहत पंजीकृत एफपीओ को बनाएगी एवं बढ़ावा देगी।
  • नाबार्ड  उन एफपीओ को बनाएगी एवं बढ़ावा देगी जो उपर्युक्त दोनों के द्वारा या किसी एक द्वारा पंजीकृत हैं।


एफपीओ का पंजीकरण कैसे करें-  

 उत्तर प्रदेश में किसान भाइयों को   एफपीओ का पंजीकरण करने के लिये सर्वप्रथम किसानों का एक समूह बनाकर  http://www.upagriculture.com वेबसाइट पर पंजीकरण करना होता है।
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